dm ka full form kya hai – DM का फुल फॉर्म है District Magistrate (जिला मजिस्ट्रेट)। इसे हिंदी में जिलाधिकारी कहा जाता है। DM एक प्रशासनिक अधिकारी होता है जो जिले में कानून और व्यवस्था बनाए रखने के लिए जिम्मेदार होता है।
DM (District Magistrate) या जिलाधिकारी एक जिले का सर्वोच्च प्रशासनिक अधिकारी होता है और उसके कई महत्वपूर्ण कार्य और जिम्मेदारियाँ होती हैं। ये कार्य मुख्य रूप से कानून-व्यवस्था, विकास कार्यों की निगरानी और प्रशासनिक कार्यों से जुड़े होते हैं। DM के प्रमुख कार्य निम्नलिखित हैं:
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Toggle1. कानून और व्यवस्था बनाए रखना (Maintenance of Law and Order)
- DM का प्रमुख काम जिले में शांति और सुरक्षा बनाए रखना होता है।
- अपराध को नियंत्रित करना, दंगों या हिंसक गतिविधियों को रोकना।
- पुलिस और अन्य कानून प्रवर्तन एजेंसियों का समन्वय करना।
2. विकास और प्रशासनिक कार्य (Development and Administrative Duties)
- सरकारी योजनाओं का कार्यान्वयन और निगरानी करना, जैसे शिक्षा, स्वास्थ्य, ग्रामीण विकास, आदि।
- जिले में चल रही सरकारी योजनाओं की प्रगति की रिपोर्ट बनाना और सुधार के लिए सुझाव देना।
- गांव, शहर और अन्य क्षेत्रों में विकास परियोजनाओं को सफलतापूर्वक लागू कराना।
3. आपदा प्रबंधन (Disaster Management)
- प्राकृतिक आपदाओं जैसे बाढ़, सूखा, भूकंप आदि के दौरान राहत और पुनर्वास कार्यों की देखरेख।
- आपातकालीन स्थितियों में त्वरित सहायता प्रदान करना और सरकारी प्रयासों का समन्वय करना।
4. चुनाव प्रक्रिया का संचालन (Conduct of Elections)
- जिले में स्वतंत्र और निष्पक्ष चुनाव कराने के लिए जिम्मेदार होता है।
- चुनाव आयोग के निर्देशों का पालन करते हुए चुनाव प्रक्रिया की निगरानी करना।
- मतदाता सूचियों को अपडेट करना और मतदान केंद्रों का प्रबंधन करना।
5. न्यायिक शक्तियाँ (Judicial Powers)
- DM के पास कुछ सीमित न्यायिक शक्तियाँ होती हैं। वे कानून के तहत छोटे-मोटे अपराधों और विवादों का निपटारा कर सकते हैं।
- आपराधिक मामलों में धारा 144 लागू करना या कर्फ्यू जैसे आदेश जारी करना।
6. भू-प्रशासन (Land Administration)
- जिले की जमीन और संपत्ति से संबंधित मामलों को देखना।
- भूमि विवादों को सुलझाना और सरकारी जमीनों की देखभाल करना।
- भूमि अधिग्रहण और अन्य संपत्ति से जुड़े कार्यों की देखरेख करना।
7. सामाजिक कल्याण योजनाएँ (Implementation of Social Welfare Schemes)
- सरकारी योजनाओं जैसे प्रधानमंत्री आवास योजना, मनरेगा, शिक्षा योजनाएँ आदि का कार्यान्वयन सुनिश्चित करना।
- सामाजिक न्याय और अधिकारिता से जुड़े कार्यक्रमों को सफलतापूर्वक लागू करना।
8. विभिन्न विभागों का निरीक्षण (Inspection of Various Departments)
- DM जिले के अन्य सरकारी विभागों का निरीक्षण करता है, जैसे शिक्षा, स्वास्थ्य, सार्वजनिक निर्माण विभाग।
- विभागों के काम की समीक्षा और सुधार के सुझाव देना।
9. प्रशासनिक आदेश जारी करना (Issuing Administrative Orders)
- जिले में जरूरत पड़ने पर प्रशासनिक आदेश और अधिसूचनाएँ जारी करना, जैसे कर्फ्यू या लॉकडाउन।
- आपातकालीन स्थिति में आवश्यक सेवाओं को सुनिश्चित करना।
10. विशेष अवसरों पर कार्यक्रमों का आयोजन (Organizing Events on Special Occasions)
- राष्ट्रीय पर्व जैसे गणतंत्र दिवस और स्वतंत्रता दिवस पर जिले में कार्यक्रमों का आयोजन और संचालन करना।
DM जिले में सरकार का प्रतिनिधि होता है और उसकी जिम्मेदारी कानून, विकास, और प्रशासनिक कार्यों की निगरानी करना होती है।
DM बनने के योग्यता?
DM (District Magistrate) बनने के लिए विशेष योग्यता और प्रक्रिया की आवश्यकता होती है। DM बनने के लिए आपको भारतीय प्रशासनिक सेवा (IAS) अधिकारी बनना पड़ता है, जिसके लिए संघ लोक सेवा आयोग (UPSC) द्वारा आयोजित सिविल सेवा परीक्षा पास करनी होती है। नीचे DM बनने के लिए आवश्यक योग्यता और प्रक्रिया दी गई है:
1. शैक्षिक योग्यता (Educational Qualification)
- स्नातक डिग्री (Graduation): किसी भी मान्यता प्राप्त विश्वविद्यालय से स्नातक (Bachelor’s Degree) होना अनिवार्य है। किसी भी विषय में स्नातक डिग्री मान्य होती है।
- जो उम्मीदवार अपने अंतिम वर्ष में हैं, वे भी UPSC परीक्षा के लिए आवेदन कर सकते हैं, बशर्ते वे परीक्षा के समय तक स्नातक डिग्री पूरी कर लें।
2. आयु सीमा (Age Limit)
- सामान्य वर्ग (General Category): न्यूनतम आयु 21 वर्ष और अधिकतम आयु 32 वर्ष।
- ओबीसी वर्ग (OBC Category): अधिकतम आयु सीमा में 3 वर्ष की छूट (32 + 3 = 35 वर्ष)।
- एससी/एसटी वर्ग (SC/ST Category): अधिकतम आयु सीमा में 5 वर्ष की छूट (32 + 5 = 37 वर्ष)।
- विकलांग उम्मीदवार (PWD Candidates): सामान्य वर्ग के लिए 10 वर्ष, ओबीसी के लिए 13 वर्ष, और एससी/एसटी के लिए 15 वर्ष की छूट।
3. सिविल सेवा परीक्षा (Civil Services Exam)
DM बनने के लिए सबसे पहले UPSC सिविल सेवा परीक्षा को पास करना होता है। यह परीक्षा तीन चरणों में आयोजित की जाती है:
1. प्रारंभिक परीक्षा (Preliminary Exam)
- यह परीक्षा क्वालिफाइंग नेचर की होती है और इसमें दो पेपर होते हैं: सामान्य अध्ययन (GS) और CSAT।
- सफल उम्मीदवार मुख्य परीक्षा के लिए पात्र होते हैं।
2. मुख्य परीक्षा (Main Exam)
- मुख्य परीक्षा लिखित होती है, जिसमें 9 पेपर होते हैं। इसमें निबंध, सामान्य अध्ययन और वैकल्पिक विषय शामिल होते हैं।
- इसमें प्राप्त अंक अंतिम मेरिट में शामिल किए जाते हैं।
3. साक्षात्कार (Interview)
- मुख्य परीक्षा पास करने के बाद उम्मीदवार को साक्षात्कार (Personality Test) के लिए बुलाया जाता है।
- इसमें उम्मीदवार के व्यक्तित्व, प्रशासनिक क्षमता और विचारधारा की जांच की जाती है।
4. प्रशिक्षण (Training)
- UPSC परीक्षा पास करने के बाद, सफल उम्मीदवारों को लाल बहादुर शास्त्री राष्ट्रीय प्रशासन अकादमी (LBSNAA), मसूरी में प्रशिक्षण दिया जाता है।
- प्रशिक्षण के दौरान प्रशासन, कानून, और अन्य महत्वपूर्ण विषयों में विशेषज्ञता प्रदान की जाती है।
5. IAS अधिकारी के रूप में नियुक्ति (Appointment as IAS Officer)
- प्रशिक्षण पूरा करने के बाद, उम्मीदवार को विभिन्न जिलों में सब-डिविजनल मजिस्ट्रेट (SDM) के रूप में नियुक्त किया जाता है।
- अनुभव और प्रदर्शन के आधार पर IAS अधिकारी को District Magistrate (DM) के पद पर प्रमोट किया जाता है।
महत्वपूर्ण बिंदु:
- नागरिकता: उम्मीदवार को भारत का नागरिक होना अनिवार्य है।
- चयन प्रक्रिया: UPSC की सिविल सेवा परीक्षा भारत की सबसे कठिन परीक्षाओं में से एक है, और इसमें बहुत कड़ी प्रतिस्पर्धा होती है।
- समर्पण और तैयारी: DM बनने के लिए गहन अध्ययन, समर्पण और अनुशासन की आवश्यकता होती है।
DM बनने के लिए UPSC सिविल सेवा परीक्षा में सफलता हासिल करना और फिर IAS के रूप में पदोन्नति प्राप्त करना अनिवार्य होता है।